निश्चिन्त तो नहीं पर दूसरे काम में लग जाता है।
नही दीदी वो खुद को धोखा देने कि आत्मघाती प्रवत्ति का शिकार हो जाता है...इससे क्षणिक संतोष तो होता है पर अंततोगत्वा इससे पतन ही होता है !
अपनी असफलता का दोष दूसरे को देकर वह खुद को ही धोखा देता है, जब की उसको पता होता है कि वह झूठ के आवरण में छिपा कर खुद को निर्दोष बना रहा है.
प्रणाम !नहीं दीदी वो स्वयं को ही भ्रमित करता है अपना दोष अन्य के सर मढ़!सादर !
वह खुद को ही धोखा देता है,
aisa karke sirf khud ko dokha deta hai....
अपना दोष दुसरे पर वही मढ़ता है जिसमे सच बोलने की हिम्मत नहीं होती उससे वो दुसरे से ज्यादा खुद परेशां होता है और दुसरे के सामने खुद को सही साबित करने की नाकाम कोशिश में लगा रहता है |
aisa kar ke khud ko dhoka deta hai...par ye dhokha dena manav ki aadat hai...:)main kya aap bhi karte ho di.......
यह प्रेरक विचार आपके प्रोत्साहन से एक नये विचार को जन्म देगा ..आपके आगमन का आभार ...सदा द्वारा ...
निश्चिन्त तो नहीं पर दूसरे काम में लग जाता है।
जवाब देंहटाएंनही दीदी वो खुद को धोखा देने कि आत्मघाती प्रवत्ति का शिकार हो जाता है...इससे क्षणिक संतोष तो होता है पर अंततोगत्वा इससे पतन ही होता है !
जवाब देंहटाएंअपनी असफलता का दोष दूसरे को देकर वह खुद को ही धोखा देता है, जब की उसको पता होता है कि वह झूठ के आवरण में छिपा कर खुद को निर्दोष बना रहा है.
जवाब देंहटाएंप्रणाम !
जवाब देंहटाएंनहीं दीदी वो स्वयं को ही भ्रमित करता है अपना दोष अन्य के सर मढ़!
सादर !
वह खुद को ही धोखा देता है,
जवाब देंहटाएंaisa karke sirf khud ko dokha deta hai....
जवाब देंहटाएंअपना दोष दुसरे पर वही मढ़ता है जिसमे सच बोलने की हिम्मत नहीं होती उससे वो दुसरे से ज्यादा खुद परेशां होता है और दुसरे के सामने खुद को सही साबित करने की नाकाम कोशिश में लगा रहता है |
जवाब देंहटाएंaisa kar ke khud ko dhoka deta hai...
जवाब देंहटाएंpar ye dhokha dena manav ki aadat hai...:)
main kya aap bhi karte ho di.......