सोमवार, 29 अक्तूबर 2012

चिंतन ...

उच्श्रृंखल पहनावा, उत्तेजित करते परिधान को परिवर्तन नहीं कह सकते, 
बल्कि यह तो अस्तित्व को गुम करना है !

- रश्मि प्रभा 

गुरुवार, 25 अक्तूबर 2012

चिंतन

प्रेम शिव है,जो आदिशक्ति का भान कराये - वसुधैव कुटुम्बकम सोचे  
 स्व' प्रेम नहीं....वह मात्र वियोग है- खुद से,संसार से ...

- रश्मि प्रभा 

सोमवार, 22 अक्तूबर 2012

चिंतन ...

अच्छी बातों का प्रभाव अच्छा ही पड़े - यह ज़रूरी नहीं . 
अपने नज़रिए से लोग अच्छाई को आडम्बर भी कहते हैं !!!

- रश्मि प्रभा 

शुक्रवार, 19 अक्तूबर 2012

चिंतन ...

काया-नश्वर
आत्मा-अमर

पर काया के भौतिक मोह में आत्मा हो जाती है नश्वर


- रश्मि प्रभा 

बुधवार, 17 अक्तूबर 2012

चिंतन ...

जो पल पल तुम्हारे ज़ख्म सहलाता है,साथ के नारे लगाता है - 
वह व्यक्ति अधिक खतरनाक होता है 

- रश्मि प्रभा 

सोमवार, 15 अक्तूबर 2012

चिंतन ...

न कोई आस्तिक,न नास्तिक-ईश्वर तो दोनों में है
स्वीकारो,नकारो- क्या फर्क पड़ता है 
एक तर्क तो एक कुतर्क 
एक प्राप्य तो दूसरा अप्राप्य का प्रतीक
कारण निर्धारित !

- रश्मि प्रभा 

शुक्रवार, 12 अक्तूबर 2012

चिंतन ...

माँ एक खाली कुआं है - जिसमें जीवन के सारे हल तैरते हैं 

- रश्मि प्रभा 


गुरुवार, 11 अक्तूबर 2012

चिंतन ...

श्रेष्ठ वह है जो सच के साथ अडिग रहे .... 
छुपकर वार वही करते हैं जो झूठ की बैसाखियों पर होते हैं 

- रश्मि प्रभा 

मंगलवार, 9 अक्तूबर 2012

चिंतन ...

कोई भी व्यक्ति , घटनाक्रम, .... 
पूरी तरह तरह से सही नहीं होता , हो ही नहीं सकता - 
क्योंकि कहने सुनने समझने और लेने में अपनी सोच भी शामिल होती है....

- रश्मि प्रभा 

शुक्रवार, 5 अक्तूबर 2012

चिंतन ...

शब्द हमारी असलियत हैं ... 
असलियत यदि खो जाए  तो शब्द खुद ब खुद खोटे हो जाते हैं 

- रश्मि प्रभा 

बुधवार, 3 अक्तूबर 2012

चिंतन ...

बराबरी की चर्चा करते करते हमसब अपनी वास्तविक छवि से दूर हो गए. 
प्रश्न,समस्या से परे - तार्किक जिद्द ने 
दूसरी समस्या उत्पन्न कर दी है समाज में ... 
आधुनिकता - परिपक्व,दिशा निर्धारित सोच से संबंध रखती है, 
जो मार्ग अवरुद्ध कर दे उसे कपड़े और चाल से आधुनिकता नहीं कह सकते .

- रश्मि प्रभा

सोमवार, 1 अक्तूबर 2012

चिंतन ...


साथ चलते हुए बातें स्पष्ट हों - सही है, ज़रूरी भी .... 
पर हर रिश्ते में कुछ स्पेस होना चाहिए .

- रश्मि प्रभा