शनिवार, 2 नवंबर 2013

चिंतन ...

मैंने तो संस्कारों की सलाइयों पर प्रेम के फंदे डाले 
तुम्हारे सवालों के व्यर्थ घेरे में जवाब देते-ढूंढते 
मैंने जीवन को उधेड़ना बुनना सीख लिया 
अब प्रेम क्या 
भय कैसा 
बुने हुए अनुभवों का सुकून है 
जिसे ओढ़ कभी हो जाती हूँ खामोश 
कभी सिहरन को रोक लेती हूँ 
कभी सिरहाना बना गहरी नींद ले लेती हूँ सपनों की 
………………………… 
अनजाने तुमने मुझे कुशल बुनकर बनाया 
और मैं -------- जीने लगी 

- रश्मि प्रभा 

गुरुवार, 24 अक्तूबर 2013

चिंतन ...

सहनशील होना ज़रूरी है 
पर सहनशीलता इतनी भी अच्छी नहीं 
कि कोई आपके सर पर पूरा आकाश रख दे 
और आप उफ़ तक ना करें ....
अति सहनशीलता सामनेवाले को हिंसक बनाता है। 
- रश्मि प्रभा 

शुक्रवार, 11 अक्तूबर 2013

चिंतन ...

सच है,लक्ष्मी के संग रहकर न कोई धनवान होता है 
न विष्णु 
लक्ष्मी तो एक पैसे में भी होती है 
पर उसकी कीमत जान पाना आसान नहीं 
क्योंकि मन तो अति के मोह से भरा 
कड़वे बोल की अमीरी के नशे में धुत्त होता है !
- रश्मि प्रभा 

शनिवार, 28 सितंबर 2013

चिंतन ...

कई बार ईर्ष्या करनेवाला खुद भी अनजान होता है अपनी ईर्ष्या से 
आत्मप्रशस्ति की ऊँगली थामे 
वह सही राह से गुमराह हो जाता है 
स्नेहिल द्वार बंद कर अपनी उस किस्मत को रोता है 
जिसे ख़ुदा तराशकर भी हार जाता है 
 
- रश्मि प्रभा 



मंगलवार, 27 अगस्त 2013

चिंतन ...

सच है,लक्ष्मी के संग रहकर न कोई धनवान होता है 
न विष्णु 
लक्ष्मी तो एक पैसे में भी होती है 
पर उसकी कीमत जान पाना आसान नहीं 
क्योंकि मन तो अति के मोह से भरा 
कड़वे बोल की अमीरी के नशे में धुत्त होता है !
- रश्मि प्रभा 

शनिवार, 22 जून 2013

चिंतन ...

सहनशीलता,विनम्रता,दानवीरता,हर परिस्थिति में खुश रहने की कला भी एक कर्म है,जिसका फल अन्याय के रूप में मिलता है = क्यूँ? क्योंकि अन्याय करनेवाला इस विशिष्टता को खत्म करने के हर हथकंडे अपनाता है .  प्रकृति के साथ खिलवाड़ प्रकृति का कर्म नहीं, प्रकृति मौन भुगतती है ... 
पर,प्रकृति हो या मनुष्य - उसके साथ किये गए अन्याय का प्रतिकर्म उसकी प्रतिध्वनि,स्वतः मुड़ती है -


- रश्मि प्रभा

बुधवार, 29 मई 2013

चिंतन ...

जो आत्महत्या कर लेते हैं 
वे मर जाने की धमकी नहीं देते 
वह एक क्षण का घना सन्नाटा होता है 
जिस सन्नाटे में मरनेवाला सारे कर्तव्य अधिकार भय से परे होता है .... 
- रश्मि प्रभा 

मंगलवार, 21 मई 2013

चिंतन ...

सत्य वह नहीं जो हम जीते हैं ..... 
सत्य वह है जिसे हम चाहकर भी नहीं जी पाते !!

- रश्मि प्रभा 

शुक्रवार, 10 मई 2013

चिंतन ...

आलोचना करना भी अद्भुत असाधारण क्षमता है 
आवेशित,आक्षेपित मार्ग से अलग सही ढंग से सही-गलत को 
प्रस्तुत करना सबके वश की बात नहीं ! 
 
- रश्मि प्रभा 


बुधवार, 1 मई 2013

चिंतन ...

लड़ने से या दोषारोपण से 
हम कोई हल नहीं निकाल पाते 
सिवाय क्षणिक जीत के सिवा 
सहेजने को कुछ नहीं होता ...

- रश्मि प्रभा 

सोमवार, 15 अप्रैल 2013

चिंतन ...

अगर हम निराशा को ही सर्वस्व मान लें 
तो असंख्य रश्मियाँ भी रास्तों के अँधेरे नहीं मिटा सकती 
पर खुद पर भरोसा कर लें 
तो एक किरण भी काफी है ....
 
- रश्मि प्रभा
 

बुधवार, 3 अप्रैल 2013

चिंतन ...

जो अकबका कर तुमसे व्यक्तिगत बात कह जाये,
उसे किसी और से कहना तुम्हारे व्यक्तित्व को हल्का करता है ...

- रश्मि प्रभा 

बुधवार, 20 मार्च 2013

चिंतन ...

ज़िन्दगी उलझती,टूटती पैबन्दों के संग चलती है 
बिना सलवटों की ज़िन्दगी भी भला ज़िन्दगी होती है !

- रश्मि प्रभा 

बुधवार, 13 मार्च 2013

चिंतन ...

किताब में,पत्रिकाओं में होने की इच्छा होना .... कोई हास्यास्पद बात नहीं
यह तो एक परिधान है - जिसके अंतर्गत सौन्दर्य बढ़ जाता है !
 - रश्मि प्रभा

मंगलवार, 5 मार्च 2013

चिंतन ...

जब आप किसी को अपमानित करने का एक मौका भी नहीं खोते 
तो आपकी दिमागी हालत दयनीय है ..... और लाइलाज भी

- रश्मि प्रभा

शुक्रवार, 1 मार्च 2013

चिंतन ...

शक एक बीमारी है 
इसमें न घरेलु इलाज सम्भव है 
न योगा,न पूजा, न प्यार ...... शक के कीड़े हर जगह रेंगते रहते हैं
 
- रश्मि प्रभा


शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2013

चिंतन ...

वो तलवार लेकर निकले हैं खुद को ताकतवर समझ के 
और हम हैरां हैं उनकी जंग खाई तलवार को देख के !!

- रश्मि प्रभा

सोमवार, 18 फ़रवरी 2013

चिंतन ...

अपमान उसका होता है जिसका कोई मान हो 
पर जिसका कोई मान न हो उससे कोई अपमानित नहीं होता !

- रश्मि प्रभा 

गुरुवार, 14 फ़रवरी 2013

चिंतन ..

रिश्तों के बीज हों या फूलों के या अनाज के 
समय समय पर हवा,धूप ,कीटाणु नाशक दवा की ज़रूरत होती है - 
क्योंकि न कीड़े लगने में देर लगती है,न सड़ने गलने में ...
- रश्मि प्रभा

शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2013

चिंतन ...

संघर्ष,हार व्यक्तित्व की इतनी काट-छांट करते हैं 
कि ऐसे व्यक्तित्व की भाषा नुकीली पर सार्थक होती है 

 - रश्मि प्रभा

बुधवार, 6 फ़रवरी 2013

चिंतन ...

प्रश्न उत्तर मांगता है - निःसंदेह 
पर हमारे कई प्रश्न अनुत्तरित रहते हैं 
तो आवश्यक नहीं कि हम सारे प्रश्नों के उत्तर दें 
......
कई बार उत्तर की खोज उलझने,उलझाने के लिए होती है 
आपके उत्तर की कमान आपके हाथ में है 
तो बेहतर है मौन ...
हर प्रश्नों के उत्तर नहीं होते !
 
- रश्मि प्रभा 

बुधवार, 23 जनवरी 2013

चिंतन ...

जो झूठ बोलते हैं वे कसम ... अपने बच्चों की कसम बहुत जल्दी खाते हैं 
जो सच बोलते हैं,उनको अपने सच पर भरोसा होता है 
किसी भी यकीन के लिए वे बच्चों को बीच में नहीं लाते !
कोर्ट में भी अत्यधिक भक्तिभाव से गीता की कसम वही दुहराते हैं 
जो हत्यारे होते हैं 
जिनके घर में अनहोनी घटती है 
वे बस गीता को मूक भाव से देखते हैं !!!
 
- रश्मि प्रभा 
 

बुधवार, 9 जनवरी 2013

चिंतन ...

अप्राप्य दुखद है, पाने की कोशिश-बनाने की कोशिश ना करना स्वभाव है .... 
जो मिलता है,बनता है,स्थापित होता है = वह हमेशा रहस्यात्मक होता है !!!

- रश्मि प्रभा

शनिवार, 5 जनवरी 2013

चिंतन ...

मित्र यानि बिना कुछ कहे कहनेवाला और सुननेवाला 
न स्वार्थ,न दंभ ...न वक्र,न मिथ !!

- रश्मि प्रभा

बुधवार, 2 जनवरी 2013

चिंतन ....

तर्क यदि जिज्ञासा से हो तो कई संभावित अर्थ निकलते हैं,
पर मात्र बहस मात्र से पहला अर्थ भरा अंश भी नष्ट हो जाता है !!!

- रश्मि प्रभा