सही और गलत का चयन आपके हाथ होता है
इसमें विवशता लाना
पूरी ज़िन्दगी को गुमराह करना है....- रश्मि प्रभा
मन के झंझावात यदि ख़त्म हो जाएँ
तो परिवर्तन की संभावनाएं ख़त्म हो जाएँ ...नकारात्मक विचार अन्दर का भय है , जो स्वाभाविक है
उससे उबरने के लिए उसके आगे 'लेकिन' जोड़ दें
यह 'लेकिन' आपकी सोच को दिशा देगी ....ईश्वर उनके घर होता है जहाँ सत्य होता है
तात्पर्य यह कि ईश्वर और सत्य एक दूजे के पर्यायवाची हैं ...जिनकी ज़िन्दगी में पैसा ही मायने रखता है
वे किसी भी हद तक छल करते हैं
पर जिनके लिए सम्मान मायने रखता है
वे शांतिप्रिय होते हैं ....
जो गलत होते हैं वे इधर उधर की बातों में उलझाकर
मुख्य तथ्य से अलग कर देते हैं .... ।