शुक्रवार, 28 सितंबर 2012
चिंतन ...
जब हम सच कहते हैं तो यह क्यूँ कहते हैं कि
'मेरा नाम ना आए' या बेनामी बनकर उतरते हैं -
नकाब हो तो सच कैसा !
- रश्मि प्रभा
बुधवार, 26 सितंबर 2012
चिंतन ...
जीवन में जो होता है , उससे व्यक्ति नाखुश रहता है
जो नहीं होता उसके लिए बडबडाता रहता है ...
- रश्मि प्रभा
सोमवार, 24 सितंबर 2012
चिंतन ...
नारी - सीता भी , राधा , मीरा , सावित्री ...... भी
नारी ही शूर्पनखा , पूतना , होलिका , मन्थरा ......
जब सीता के लिए हम लिखते हैं तो पूतना का विरोध - हास्यास्पद होगा न !
- रश्मि प्रभा
शुक्रवार, 21 सितंबर 2012
चिंतन ...
किसी बात पर असहमति का अर्थ यह नहीं कि बम ही फोड़ा जाए ...
और बहरों के आगे बम फोड़ने से भी क्या हासिल होगा !
- रश्मि प्रभा
बुधवार, 19 सितंबर 2012
चिंतन ...
जब सब मिल जाता है तो कुछ सहज सा खो जाता है...
- रश्मि प्रभा
सोमवार, 17 सितंबर 2012
चिंतन ...
सच क्या है ?
अदृश्य शक्ति , हिमालय, गंगा , फूलों की खुशबू , धरती, आकाश , सूरज , चाँद , सितारे .... सत्य को प्रमाण कैसा देना !
नालों के प्लावित होने से उन्हें गंगा नहीं कह सकते , मान लो तो भी - गंगा का क्या जाता है , वह तो है !!!
- रश्मि प्रभा
शुक्रवार, 14 सितंबर 2012
चिंतन ....
एक बात के कई मायने निकलते हैं ...
अक्सर मुद्दे से अलग मायने ही सब उठाते हैं
और फिर तल्खियों का बाज़ार गर्म हो उठता है!
- रश्मि प्रभा
बुधवार, 12 सितंबर 2012
चिंतन ...
शून्य से गुजरकर शून्यता की भाषा जानोगे
याददाश्त खोने सी स्थिति से भी वाकिफ होगे
परिस्थितियों की तुलना कर सकोगे .....
यूँ हीं कुछ मत कहो
शून्य से मिलकर ही कहो
शोर की परिधि से शून्य की व्याख्या
संभव नहीं !
- रश्मि प्रभा
सोमवार, 10 सितंबर 2012
चिंतन ...
माँ एक चुनौती है
शिव का त्रिनेत्र
गीता का ज्ञान
कृष्ण की ऊँगली
जिसपे है गोवर्धन अड़ा... जीवन चुनौती है, ना हो चुनौती तो अपनी क्षमताओं से व्यक्ति अनभिज्ञ रहता है
- रश्मि प्रभा
गुरुवार, 6 सितंबर 2012
चिंतन ...
कितना भी लिखो, कहो, दुहराओ...
अनकही ही रह जाती है
ज़िन्दगी !!!
- रश्मि प्रभा
मंगलवार, 4 सितंबर 2012
चिंतन ...
जटायु होना न सहज है , न सरल है . और अधिकाँश लोग सीख भी नहीं सकते , क्योंकि उनकी उत्सुकता अपनी मंशा में होती है .... जैसे वह पूछेगा , सीता को कैसे पकड़ा था रावण ! या - मारा वारा भी क्या !! जटायु आदमी नहीं था न !!!
- रश्मि प्रभा
शनिवार, 1 सितंबर 2012
चिंतन ....
श्रेष्ठ वह है जो सच के साथ अडिग रहे ....
छुपकर वार वही करते हैं जो झूठ की बैसाखियों पर होते हैं
- रश्मि प्रभा
नई पोस्ट
पुराने पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
संदेश (Atom)