सोमवार, 16 अप्रैल 2012

प्रेम में ही ...

प्रेम है प्रभु या प्रभु है प्रेम में
प्रेम में ही ज्ञान है प्रेम में ही सार है
समर्पण मुक्ति है .......

- रश्मि प्रभा 

सोमवार, 9 अप्रैल 2012

चाटुकारिता का तर्पण ....

जिसकी आत्मा मरी होती है
उसके विरुद्ध कोई समाज परिवार नहीं होता
बल्कि सभी मरी आत्मा के साथ चलने लगते हैं
चाटुकारिता का तर्पण अर्पण करते हैं

- रश्मि प्रभा

सोमवार, 2 अप्रैल 2012

मंथन हर पहलू का ...

आत्मचिंतन यानि अपने भीतर मंथन हर पहलू का ...
और मंथन के लिए जगह ही नहीं !

 - रश्मि प्रभा