सोमवार, 28 फ़रवरी 2011

वक्‍त बनाता है .....

रिश्‍ते वो नहीं जो हम बनाते हैं,
रिश्‍ते वो हैं जिन्‍हें वक्‍त बनाता है ।


- रश्मि प्रभा

शनिवार, 26 फ़रवरी 2011

शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2011

हार नहीं सकते ....

यदि तुमने रेगिस्तान की प्यास को
झेला है तो तुम हार नहीं सकते ...।


- रश्मि प्रभा

गुरुवार, 24 फ़रवरी 2011

रिश्‍ते ....

रिश्ते जब समझौता बन जाएं तो समझो,
अब तुम्हारे पास खुली हवा नहीं ......
‍‍

- रश्मि प्रभा

बुधवार, 23 फ़रवरी 2011

कल्‍पना से यथार्थ ....

यथार्थ से कल्‍पना तक जाना संभव नहीं,

कल्‍पना से यथार्थ तक जाना अनुभव का

संवेदनशील मार्ग है ...........।

- रश्मि प्रभा


मंगलवार, 22 फ़रवरी 2011

सोमवार, 21 फ़रवरी 2011

संस्कार नहीं बनाना है .....

बहुत आसान लगता है बुराई करना पर एक

अदृश्य तिलस्मी जाल की तरह वह और अन्दर

आने को प्रेरित करता जाता है और पीछे लौटने

के सारे रास्ते स्वतः बन्द हो जाते हैं बुराई को

संस्कार नहीं बनाना है , बस फुफकारना भर है ....

गुरु जी कहते हैं - ' भक्ति से शक्ति फिर खुद

से युक्ति और हमेशा की मुक्ति ...........।


- सुमन सिन्‍हा

शनिवार, 19 फ़रवरी 2011

ईश्‍वर ने ....

जब हर तरफ अँधेरा हो, साँसें तक अवरुद्ध हों ...........
समझ लो ईश्वर ने तुम्हारे मार्ग बनाने शुरू कर दिए हैं !


- रश्मि प्रभा

शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2011

संयम ....

विवेक संयम है , ठहराव है ...

हमारे अप्रत्यक्ष को सुनने

समझने और जानने की

सूक्ष्म स्थिति है ...।

- सुमन सिन्‍हा

गुरुवार, 17 फ़रवरी 2011

विनम्र और सभ्‍य ....

विनम्र और सभ्‍य उतना ही होना चाहिए जब तक
सामने वाला उसे हमारी कमजोरी ना समझने लगे,
कोई हमें केंचुआ ना समझे, बस इतना याद रखना है
केंचुएं को छोटे बच्‍चे तक उठा कर फेंक देते हैं लोग...
पर कोबरा को ???



- इंदु पुरी

मंगलवार, 15 फ़रवरी 2011

धरा से ....

जब हम धरा से वृक्ष, फूल पौधों के नामोनिशां

हटा देंगे तो बसंत आकर भी क्या करेगा !


-रश्मि प्रभा

सोमवार, 14 फ़रवरी 2011

बुराई ...

बुराई ताकतवर दिखती है ज़रूर, पर

उसी दिन तक जब तक उसके

सामने कोई खड़ा न हो जाये !

- सुमन सिन्‍हा


शुक्रवार, 11 फ़रवरी 2011

नई सुबह ....

ज़िन्दगी जब विशेष बननी होती है तो तूफानों के

मध्य ही गुजरती है, हताशा निराशा के खेल दिखाती है

और फिर एक नई सुबह देकर जाती है ... इस नई सुबह

को पाने की अवधि बड़ी लम्बी होती है .....

बुधवार, 9 फ़रवरी 2011

'' खुद का आंकलन ''

ईश्‍वर को दोष देने से पहले खुद का,

आंकलन करो कि ईश्‍वर के इंगित को

तुमने कितनी बार नजरअन्‍दाज किया है ।

- रश्मि प्रभा



मंगलवार, 8 फ़रवरी 2011

'' परिणाम ''

महाभारत और गीता आज भी सत्य हैं, क्योंकि उसमें

हर तरह की बुराई दिखाई गई है, जिससे आम इन्सान

उसमें शामिल होने से पहले परिणाम सोच ले ..........।


- सुमन सिन्‍हा

सोमवार, 7 फ़रवरी 2011

'' झूठ को शह ''

सत्य को गूंगा बनाकर हम झूठ को

शह देते हैं और मात खाने का ग़म

मनाते हैं ....

- रश्मि प्रभा

शनिवार, 5 फ़रवरी 2011

'' उचित निर्णय ''

कोई भी निर्णय उसी क्षण तक उचित होता है,
जब वह लिया जाता है। उस क्षण के बीतते ही
उसके किन्‍तु-परन्‍तु सामने आने लगते हैं।

- राजेश उत्‍साही



शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2011

प्यार समर्पण .... ईश्वरीय गुण हैं ...

प्यार समर्पण .... ईश्वरीय गुण हैं ...

सब को इनका आशीर्वाद नहीं . अन्दर से जब हम

खाली होते हैं तभी हमारी पात्रता निर्मित होती है

और ईश्वर हमारे अन्दर इसे भरते जाते हैं ....

अवगुण सहज आते हैं पर दैविक आग पर चलकर

अपना अस्तित्व भूलने पर हम देव वाणी बन जाते हैं ...।

- सुमन सिन्हा

गुरुवार, 3 फ़रवरी 2011

'' वसंत ''

अगर तुमने वसंत देखा ही नहीं तो तुम
वसंत
जी कैसे सकते हो, और यदि तुमने
फिर
भी जिया है तो तुम आम इन्‍सान हो
ही नहीं सकते ....!