यथार्थ से कल्पना तक जाना संभव नहीं,
कल्पना से यथार्थ तक जाना अनुभव का
संवेदनशील मार्ग है ...........।
- रश्मि प्रभा
सही अनुभूति
दीदी प्रणाम !सही है . बस योग्य सकती हो इच्छा शक्ति हो तो क्या मुमकिन नहीं .सादर
वाह!! साकार होने पर सपने नहीं होते, सपने साकार हो सकते है।
बिलकुल सही !
यथार्थ मे ही तो आदमी कल्पनायें ढूँढता है और नये यथार्थ की शुरूआत करता है। इस तरह यथार्थ और कल्पनाओं का चोली दामन का साथ है।
satya wachan...
यह प्रेरक विचार आपके प्रोत्साहन से एक नये विचार को जन्म देगा ..आपके आगमन का आभार ...सदा द्वारा ...
सही अनुभूति
जवाब देंहटाएंदीदी प्रणाम !
जवाब देंहटाएंसही है . बस योग्य सकती हो इच्छा शक्ति हो तो क्या मुमकिन नहीं .
सादर
वाह!! साकार होने पर सपने नहीं होते, सपने साकार हो सकते है।
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही !
जवाब देंहटाएंयथार्थ मे ही तो आदमी कल्पनायें ढूँढता है और नये यथार्थ की शुरूआत करता है। इस तरह यथार्थ और कल्पनाओं का चोली दामन का साथ है।
जवाब देंहटाएंsatya wachan...
जवाब देंहटाएं