सत्य को गूंगा बनाकर हम झूठ को
शह देते हैं और मात खाने का ग़म
मनाते हैं ....
- रश्मि प्रभा
जीवन में धारण करने योग्य संकल्प!प्रेरक विचार!
prerak vichar...lekin sayad hi isko apna payen..:)
चिंतनीय
एकदम सटीक
यही तो रोना है दीदी !
कई बार सच को हारते देखा है झूठ के आगे और फिर उन्ही लोगों को इसका मातम मनाते भी !एकदम सटीक ...
आदरणीय दीदी ,प्रणाम !झूठ कि क्षणिक जीत होती है जब कि सत्य थोड़ा सा कष्ट पाटा है मगर जीत सत्य कि ही होती है ,सादर
सत्य जन्म से गूंगा नहीं होता है,इसलिए जब वह बोलता है तो झूठ को सिर पर पैर रखकर भागना पड़ता है।
सत्य के साथ कोई भी न हो एक दिन वह उजागर हो कर रहता है. उसकी शक्ति को कुछ समय के लिए भले दबा दें लेकिन वह सत्य ही है जो शाश्वत है और रहेगा.
यह प्रेरक विचार आपके प्रोत्साहन से एक नये विचार को जन्म देगा ..आपके आगमन का आभार ...सदा द्वारा ...
जीवन में धारण करने योग्य संकल्प!
जवाब देंहटाएंप्रेरक विचार!
prerak vichar...lekin sayad hi isko apna payen..:)
जवाब देंहटाएंचिंतनीय
जवाब देंहटाएंएकदम सटीक
जवाब देंहटाएंयही तो रोना है दीदी !
जवाब देंहटाएंकई बार सच को हारते देखा है झूठ के आगे और फिर उन्ही लोगों को इसका मातम मनाते भी !
जवाब देंहटाएंएकदम सटीक ...
आदरणीय दीदी ,
जवाब देंहटाएंप्रणाम !
झूठ कि क्षणिक जीत होती है जब कि सत्य थोड़ा सा कष्ट पाटा है मगर जीत सत्य कि ही होती है ,
सादर
सत्य जन्म से गूंगा नहीं होता है,इसलिए जब वह बोलता है तो झूठ को सिर पर पैर रखकर भागना पड़ता है।
जवाब देंहटाएंसत्य के साथ कोई भी न हो एक दिन वह उजागर हो कर रहता है. उसकी शक्ति को कुछ समय के लिए भले दबा दें लेकिन वह सत्य ही है जो शाश्वत है और रहेगा.
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