सोमवार, 30 जुलाई 2012

बुद्धि, विवेक के साथ क्रोधयुक्‍त जिद हो तो ... तो होनी काहू बिधि न टरै 

- रश्मि प्रभा

शुक्रवार, 27 जुलाई 2012

  • सत्‍य को कोई सह नहीं पाता - झूठ की बैसाखियों पर चलने वाले पांव इतने लाचार होते हैं कि यथार्थ की धरती पर खड़े नहीं हो सकते, जो सच सामने आता है, उसके पीछे कई सच होते हैं - जिनको न कोई सामने लाना चाहता है, न कोई सुनना चाहता है, अपनी डफली अपना राग उत्‍तम है.

          - रश्मि प्रभा 


बुधवार, 25 जुलाई 2012

  • कोई शुरूआत जब गलती से हो तो समझाने से बेहतर है
      आप सामनेवाले की बात सुनें
      उसके क्रोध को भी स्‍वीकार करें - तब अनचाहा नहीं होता 

        - रश्मि प्रभा