भावनाओं के गणित और पैसे के गणित में
दिल और दिमाग का फर्क होता है .... !!
- रश्मि प्रभा
गुरुवार, 31 मार्च 2011
बुधवार, 30 मार्च 2011
मंगलवार, 29 मार्च 2011
पूरा अस्तित्व ...
समय रहते जो बातें नहीं कही जातीं
उनका पूरा अस्तित्व बदल जाता है ...!!
- रश्मि प्रभा
उनका पूरा अस्तित्व बदल जाता है ...!!
- रश्मि प्रभा
सोमवार, 28 मार्च 2011
प्रेम में प्राप्य ...
प्रेम में प्राप्य की आशा मत करो
ऐसा करते ही प्रेम घृणा में बदल जाता है ... !!
- रश्मि प्रभा
ऐसा करते ही प्रेम घृणा में बदल जाता है ... !!
- रश्मि प्रभा
शनिवार, 26 मार्च 2011
शुक्रवार, 25 मार्च 2011
चूक जाने के बाद ....
समय चूक जाने के बाद
- रश्मि प्रभा
किसी सोच किसी कल्पना का
कोई अर्थ नहीं रह जाता ...!!- रश्मि प्रभा
गुरुवार, 24 मार्च 2011
जलानेवाले ....
दूध का जला छांछ को जब फूंककर पीता है
तो जलानेवाले ठहाके लगाते हैं .......!!
- रश्मि प्रभा
तो जलानेवाले ठहाके लगाते हैं .......!!
- रश्मि प्रभा
बुधवार, 23 मार्च 2011
अपना आक्रोश ....
चीजें फ़ेंककर अपना आक्रोश वे दिखाते हैं
जो सच को सुनना ही नहीं चाहते ........!!
रश्मि प्रभा
जो सच को सुनना ही नहीं चाहते ........!!
रश्मि प्रभा
मंगलवार, 22 मार्च 2011
निष्ठा ना हो ...
जब तक सोच में निष्ठा ना हो
कोई भी निर्णयात्मक कदम ठोस नहीं हो सकता ...!!
- रश्मि प्रभा
कोई भी निर्णयात्मक कदम ठोस नहीं हो सकता ...!!
- रश्मि प्रभा
शनिवार, 19 मार्च 2011
चुप रहकर ...
चुप रहकर अपने निश्चित रास्ते पर जो बढ़ते हैं
उनका संयम उनकी दृढ़ता अनुकरणीय होती है ... !!
- रश्मि प्रभा
उनका संयम उनकी दृढ़ता अनुकरणीय होती है ... !!
- रश्मि प्रभा
शुक्रवार, 18 मार्च 2011
गुरुवार, 17 मार्च 2011
बुधवार, 16 मार्च 2011
मंगलवार, 15 मार्च 2011
सोमवार, 14 मार्च 2011
सुनामी का आह्वान ...
प्रकृति ने जीवन दिया ,
मनुष्य ने उसकी संजीवनी शक्तियों को ख़त्म कर
अपनी लिप्साओं के मार्ग खोले - सुनामी का आह्वान किया !
- रश्मि प्रभा
- रश्मि प्रभा
शुक्रवार, 11 मार्च 2011
तकलीफ ....
तकलीफ तो सबको होती है ...............
पर कोई पैदा करता है कोई बेवजह पाता है ।
- रश्मि प्रभा
पर कोई पैदा करता है कोई बेवजह पाता है ।
- रश्मि प्रभा
गुरुवार, 10 मार्च 2011
हारकर भी ....
समुन्द्र की लहरों के आगे घरौंदा बनाना चुनौती है
हारकर भी इस चुनौती को बरक़रार रखना ज़िन्दगी है ... !!
- रश्मि प्रभा
- रश्मि प्रभा
बुधवार, 9 मार्च 2011
'क्यूँ' और 'कब ' ...
किसी भी बात में 'क्यूँ' और 'कब ' का
आना मानसिक विरोध पैदा करता है तो
आना मानसिक विरोध पैदा करता है तो
बेहतर है इसे हम अपने पास समेट लें ....!!
- रश्मि प्रभा
- रश्मि प्रभा
मंगलवार, 8 मार्च 2011
आकर्षक और आरामदेह .....
जब हम सच बोलते हैं तो लोग उसमें से कुछ और ढूंढते हैं
पर झूठ ... इतना आकर्षक और आरामदेह होता है कि
लगभग सारे लोग उसे स्वीकार कर लेते हैं .........।।
- रश्मि प्रभा
पर झूठ ... इतना आकर्षक और आरामदेह होता है कि
लगभग सारे लोग उसे स्वीकार कर लेते हैं .........।।
- रश्मि प्रभा
सोमवार, 7 मार्च 2011
शनिवार, 5 मार्च 2011
बीज लगाते जाओ ...
संस्कारों की मिट्टी हमेशा
ज़रखेज़ (उपजाऊ) होती है
अनवरत बीज लगाते जाओ ...।।
- रश्मि प्रभा
ज़रखेज़ (उपजाऊ) होती है
अनवरत बीज लगाते जाओ ...।।
- रश्मि प्रभा
शुक्रवार, 4 मार्च 2011
गूंगी मौत ....
अन्याय के निकट इतनी ख़ामोशी भी अच्छी नहीं
कि गूंगी मौत नसीब हो और मासूम आँखों के आगे
अनसुलझे सवाल रह जाएँ !!!
- रश्मि प्रभा
- रश्मि प्रभा
गुरुवार, 3 मार्च 2011
सत्य की दिशा ....
सन्दर्भ बीच के रखे जाएँ तो बातें स्पष्ट नहीं होतीं
- रश्मि प्रभा
ऐसा करके शुरूआती सत्य की दिशा बदल दी जाती है ।
- रश्मि प्रभा
बुधवार, 2 मार्च 2011
मंगलवार, 1 मार्च 2011
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