विचारणीय चिंतन ....पर इन शब्दों को " कैसे" समेटें ?
प्रणाम !शायद हर किसी के मन में कोई ना कोई जिज्ञासा होती है या संदेह और इससे विरक्त होना मानव का स्वयम को पाना है परन्तु ऐसा होता है .. कह नहीं सकते .!सादर !
बिल्कुल सही बात है।
यह प्रेरक विचार आपके प्रोत्साहन से एक नये विचार को जन्म देगा ..आपके आगमन का आभार ...सदा द्वारा ...
विचारणीय चिंतन ....पर इन शब्दों को " कैसे" समेटें ?
जवाब देंहटाएंप्रणाम !
जवाब देंहटाएंशायद हर किसी के मन में कोई ना कोई जिज्ञासा होती है या संदेह और इससे विरक्त होना मानव का स्वयम को पाना है परन्तु ऐसा होता है .. कह नहीं सकते .!
सादर !
बिल्कुल सही बात है।
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