मंगलवार, 31 मई 2011

ढाल ....

दु:ख की नाव से उतरकर जब हम बीज लगाते हैं आने वाले कल के लिये
तो वह नाव ही ढाल बनती है ... ।


- रश्मि प्रभा

सोमवार, 30 मई 2011

बाज़ी ....

कौन राजा बनता है कौन रंक ... यह कहाँ तय होता है
आज मैं बराबर नहीं कल तुम बराबर नहीं होगे.....
बाज़ी तो बदलती जाती है !

- रश्मि प्रभा

शनिवार, 28 मई 2011

समय ...

समय से ज़िन्दगी जीना ज़रूरी है
तो समय से मर जाना भी ज़रूरी है ( हाँ यह अपने हाथ में नहीं होता ) .
मोह का बंधन तो फांसी की तरह लटका होता है ,
अपने हाथ में कुछ नहीं होता , पर यदि इस ज़रूरत को
हम दिल दिमाग से स्वीकार कर लें
तो इधर-उधर की निरर्थक चिंताओं से खुद को परे कर सकते हैं !


- रश्मि प्रभा

शुक्रवार, 27 मई 2011

संस्कार ....

झूठ की दीवारें लांघकर जो संस्कार सिखाते हैं
उनके शब्द कभी जिए हुए नहीं होते....

- रश्मि प्रभा

गुरुवार, 26 मई 2011

दर्द में ...

वहम तोड़ने के लिए ईश्वर जो करता है
वह खुद भी उस दर्द में सो नहीं पाता ...


- रश्मि प्रभा

बुधवार, 25 मई 2011

लोहा ....

चोट खाकर कोई अपाहिज हो जाता है
शरीर दिल और दिमाग - तीनों से
पर कोई लोहा बन जाता है ...
तुम पर है चयन !

- रश्मि प्रभा

मंगलवार, 24 मई 2011

ईश्वर हमेशा साथ ...

जब बाहर अँधेरा होता है तो भीतर आशाओं के दीप जलते हैं
जब भीतर अँधेरा होता है बाहर ज़िन्दगी गीत सुनाती है
तात्पर्य यह कि ईश्वर हमेशा साथ होता है....!!

- रश्मि प्रभा

सोमवार, 23 मई 2011

अहम भूमिका ....

दुनिया के सारे कार्य प्रभु की मर्जी से नहीं होते,
शैतान की भी अहम भूमिका होती है .........।।


- रश्मि प्रभा

शनिवार, 21 मई 2011

चलते रहिए ...

अगर रास्‍ता खूबसूरत है तो पता कीजिए
किस मंजिल तक जाता है
लेकिन अगर मंजिल खूबसूरत है
तो रास्‍ते की परवाह मत कीजिए चलते रहिए .... ।


- रश्मि प्रभा

शुक्रवार, 20 मई 2011

खुद को बधाई दो ...

अपनी सफलता पर खुद को बधाई दो,
और अगली सफलता की तैयारी करो,
लोगों को बेईमानी, और ईर्ष्‍या से फुर्सत नहीं ...।


- रश्मि प्रभा

गुरुवार, 19 मई 2011

बुधवार, 18 मई 2011

सोच रखा है ....

अगर प्रभु ने देना सोच रखा है तो
कोई कितना छीन सकता है .....!!


- रश्मि प्रभा

सोमवार, 16 मई 2011

गुरुवार, 12 मई 2011

ख्‍वाहिशें ...

जो सिर्फ पाना चाहते हैं उनकी ख्‍वाहिशें सुरसा की तरह मुंह फैलाये रखती हैं
और उन्‍हें ही हमेशा शिकायत रहती है ....

- रश्मि प्रभा

बुधवार, 11 मई 2011

क्षितिज का सत्य ..

क्षितिज की असाधारण छवि का साधारणीकरण
कोई मूर्ख ही कर सकता है
क्षितिज का सत्य
सिर्फ क्षितिज जानता है ...!!

- रश्मि प्रभा


मंगलवार, 10 मई 2011

वह मां ....

वह पिता जो खुद में देवदार हो
उसे किसी के काँधे की ज़रूरत नहीं होती
वह माँ
जिसकी पूरी ज़िन्दगी उसके बच्चे हो
उसके चेहरे पर उनकी हथेलियाँ होती हैं
ताकि कभी आँखों में नमी न हो !

- रश्मि प्रभा

सोमवार, 9 मई 2011

छल का परिणाम ....

छल करने वाले भूल जाते हैं कि
हर छल का परिणाम कुरूक्षेत्र होता है ....!!


- रश्मि प्रभा

शनिवार, 7 मई 2011

निर्माण का अभिषेक ....

जिस तरह तुम आंखे बन्‍द करके अपने आराध्‍य की अर्चना करते हो,
उसी तर‍ह ईश्‍वर आंखे बन्‍द कर निर्माण का अभिषेक करता है ...।


- रश्मि प्रभा

शुक्रवार, 6 मई 2011

मीनमेख....

जो कुछ नहीं करते वे हमेशा मीनमेख निकालते हैं,
और करने वाले कटघरे में खड़े होते हैं .....!!


- रश्मि प्रभा

गुरुवार, 5 मई 2011

असफलता का दोष ...

पनी असफलता का दोष दूसरे को देकर
व्यक्ति क्या वाकई निश्चिन्त हो जाता है ... ?


- रश्मि प्रभा

बुधवार, 4 मई 2011

खुद पर भरोसा ....

रोने का दिल करे तो रोवो
जिस तरह खुलकर हँसते हो न
उसी तरह खुलकर रोवो
हाँ साथ ही अपने आंसू पोछना भी सीखो
क्योंकि आंसू पोछने कोई नहीं आता
पर जब खुद पर भरोसा करने लगोगे
तो ईश्वर उन आंसुओं को मोती बना देगा
अपनी हथेली में भरकर ....!!

- रश्मि प्रभा

मंगलवार, 3 मई 2011

आंतरिक छवि ...

अपनी बाह्य छवि को बचाए रखने के कदम
आंतरिक छवि को धूमिल करते जाते हैं ...!!

- रश्मि प्रभा

सोमवार, 2 मई 2011

वक्‍त ...

मूर्ख बनानेवाला अपनी काबिलियत पर मुस्कुराता है
वक़्त उस पर मुस्कुराता है.....!!

- रश्मि प्रभा