शनिवार, 28 सितंबर 2013

चिंतन ...

कई बार ईर्ष्या करनेवाला खुद भी अनजान होता है अपनी ईर्ष्या से 
आत्मप्रशस्ति की ऊँगली थामे 
वह सही राह से गुमराह हो जाता है 
स्नेहिल द्वार बंद कर अपनी उस किस्मत को रोता है 
जिसे ख़ुदा तराशकर भी हार जाता है 
 
- रश्मि प्रभा 



1 टिप्पणी:

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