सोमवार, 21 फ़रवरी 2011

संस्कार नहीं बनाना है .....

बहुत आसान लगता है बुराई करना पर एक

अदृश्य तिलस्मी जाल की तरह वह और अन्दर

आने को प्रेरित करता जाता है और पीछे लौटने

के सारे रास्ते स्वतः बन्द हो जाते हैं बुराई को

संस्कार नहीं बनाना है , बस फुफकारना भर है ....

गुरु जी कहते हैं - ' भक्ति से शक्ति फिर खुद

से युक्ति और हमेशा की मुक्ति ...........।


- सुमन सिन्‍हा

1 टिप्पणी:

यह प्रेरक विचार आपके प्रोत्‍साहन से एक नये विचार को जन्‍म देगा ..
आपके आगमन का आभार ...सदा द्वारा ...