संत, धर्मात्मा .... उनके जीने की राह , उनका आशीष -
दिखावा , ईर्ष्या, कटुता , छल , हिंसा ,
भौतिकता की चमक दमक से दूर करता है
जो खुद लिप्त है - वह ज्ञानी हो सकता है ,
पर संत धर्मात्मा नहीं
और उसके अनुयायी तो ढकोसले से बढ़कर कुछ नहीं !!!
- रश्मि प्रभा
बिलकुल सच कहा है...
जवाब देंहटाएंआपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 01/09/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंजो खुद लिप्त है - वह ज्ञानी हो सकता है ,
जवाब देंहटाएंपर संत धर्मात्मा नहीं
बिलकुल सही !!
फिलवक्त तो वह कहीं और हैं संत भी महात्मा भी यहाँ सक्रिय है उनका विज्ञापन विभाग पूरी चमक दमक आभा के साथ ,हर चैनल पे काई कई संत महात्मा हैं इनका भी एक कम्पीटीशन होना चाहिए बा -तर्ज़ लिटिल चेम्प्स .
जवाब देंहटाएंविचार आपका यकीनन
बुधवार, 29 अगस्त 2012
चितन ...
संत, धर्मात्मा .... उनके जीने की राह , उनका आशीष -
दिखावा , ईर्ष्या, कटुता , छल , हिंसा ,
भौतिकता की चमक दमक से दूर करता है
जो खुद लिप्त है - वह ज्ञानी हो सकता है ,
ram ram bhai
शनिवार, 1 सितम्बर 2012
अमरीकियों का स्वान प्रेम और पर्यावरण Home is where My dog is. रोज़ शाम को घूमने के लिए निकल जाता हूँ .दिन
विचारणीय
जवाब देंहटाएंसही कहा है
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