बुधवार, 16 नवंबर 2011

बन्द दरवाजों के आगे ...

सूरज रोज़ आता है , घने स्याह बादल हों तो भी वह रुकता नहीं . 
सूरज कभी नहीं चाहता कि अँधेरे की अवधि बढ़े
फिर हमने क्यूँ बन्द दरवाजों के आगे घुटने टेक दिए हैं ! 
 
- रश्मि प्रभा 

5 टिप्‍पणियां:

यह प्रेरक विचार आपके प्रोत्‍साहन से एक नये विचार को जन्‍म देगा ..
आपके आगमन का आभार ...सदा द्वारा ...