गाम्भीर्य की मर्यादा तोड़ती, मायामय बुद्धि घातक सुनामी ही है। स्व-पर दोनो के लिए।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||बधाई स्वीकार करें ||
निर्बुद्धि की जिन्दगी, सुख-दुःख से अन्जान |निर्बाधित जीवन जिए, डाले न व्यवधान ||बुद्धिमान करता रहे , खाकर-पीकर मौज |एकाकी जीवन जिए, नहीं बढ़ाये फौज || बुद्धिवादी परिश्रमी, पाले घर परिवार |मूंछे ऐठें रुवाब से, बैठे पैर पसार || बुद्धिजीवी का बड़ा, रोचक है अन्दाज |जिभ्या ही करती रहे, राज काज आवाज || बुद्धियोगी हृदय से, लेकर चले समाज |करे भलाई जगत का, दुर्लभ हैं पर आज ||
bahut khub
यह प्रेरक विचार आपके प्रोत्साहन से एक नये विचार को जन्म देगा ..आपके आगमन का आभार ...सदा द्वारा ...
गाम्भीर्य की मर्यादा तोड़ती, मायामय बुद्धि घातक सुनामी ही है। स्व-पर दोनो के लिए।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
जवाब देंहटाएंबधाई स्वीकार करें ||
निर्बुद्धि की जिन्दगी, सुख-दुःख से अन्जान |
जवाब देंहटाएंनिर्बाधित जीवन जिए, डाले न व्यवधान ||
बुद्धिमान करता रहे , खाकर-पीकर मौज |
एकाकी जीवन जिए, नहीं बढ़ाये फौज ||
बुद्धिवादी परिश्रमी, पाले घर परिवार |
मूंछे ऐठें रुवाब से, बैठे पैर पसार ||
बुद्धिजीवी का बड़ा, रोचक है अन्दाज |
जिभ्या ही करती रहे, राज काज आवाज ||
बुद्धियोगी हृदय से, लेकर चले समाज |
करे भलाई जगत का, दुर्लभ हैं पर आज ||
bahut khub
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