स्त्री की भूमिका, उसका महत्व गौर करें,
सृजन की अधिकारिणी
बच्चे के मुख से नि:सृत पहला स्वर – माँ
किवदंतियाँ जो हमने ही गढ़ी - जब हम कहते हैं गोदी के बच्चे से कि
‘‘माँ का डाँटे’’ तो वह रोने सा मुँह बनाता है
‘‘पापा को डाँटे’’ तो वह हँसता है ...
इस हास्य को बनाने के पीछे कोई तो सोच होगी
विद्या रूप
लक्ष्मी रूप
शक्ति रूप
सहनशीलता की अद्भुत मिसाल –
सीता ने लव-कुश को वन में राजकुल योग्य बनाया !
पत्थर बनी अहिल्या ने राम का इन्तज़ार किया
यशोधरा ने राहुल को तैयार किया
राधा ने नाम स्वीकार किया
.............................. एक गहन अस्तित्व
- - रश्मि प्रभा