सोमवार, 17 अक्तूबर 2011

बातों का तथ्‍य ...

जैसे जैसे वक़्त गुजरता है
बड़ों की कही बातों का तथ्य समझ में आने लगता है ...!!!

- रश्मि प्रभा

5 टिप्‍पणियां:

  1. जीवन के अनुभव से जो सिखा जा सकता है ,वह ज्ञान किसी किताब में नहीं !

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  2. सही कहा है ... लेकिन तब तक वक्त निकल जाता है

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  3. बडों के अनुभव का लाभ उठाए, तब तक वक्त गुजर ही जाता है।
    और हम स्वयं बदे बन जाते, यथार्थ तब समझ आता है। और हमारी इस चुक-अनुभव से सीख लेने वाला नहीं होता। अन्ततः वह भी बड़ा बनकर महसुस करता है।

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  4. bahut hi sahi baat kahi hai apne..
    bade - bujurgo ki bato ko kabhi neglect nhi karna chahiye..vo apne anubhav se hi hame sikhate hai..

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  5. बहुत बढ़िया ||

    बधाई स्वीकारें ||

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