बुधवार, 10 सितंबर 2014

चिंतन ...

तुम अगर खुले मन से किसी की प्रशंसा नहीं कर सकते,
तो कोई तुम्‍हारी कितनी भी प्रशंसा कर ले - तुम उस योग्‍य नहीं.

- रश्मि प्रभा 

शुक्रवार, 5 सितंबर 2014

चिंतन ...

जब हम समय पर काम नहीं करते
तो झूठ या बहाना उचित लगता है
काश! हम शर्मिन्‍दा होते अपनी निष्क्रियता पर !!

- रश्मि प्रभा

मंगलवार, 2 सितंबर 2014

चिंतन ...

यदि आप किसी भावना का सम्‍मान नहीं करते
तो एकांत में खुद को वक्‍़त दीजिये
खुद को परखिये - 
ऐसी कौन सी कमी है जो आपको भावनाओं से ज़ुदा करती है.


- रश्मि प्रभा 

शुक्रवार, 29 अगस्त 2014

चिंतन ....

जहाँ रक्‍त सम्‍बंध होते हैं, 
वहाँ बड़े से बड़े अपराध को लोग न चाहकर भी अनदेखा कर देते हैं
क्‍योंकि उससे कई रिश्‍ते जुड़े होते हैं
बात दूसरों की हो तो हमसब न्‍यायधीश बन जाते हैं.

- रश्मि प्रभा 

शनिवार, 23 अगस्त 2014

चिंतन ....

आत्‍मा ही परमात्‍मा है, 
उसी से मिलती है सहनशीलता..... वही दिशा देता है

- रश्मि प्रभा 

शनिवार, 9 अगस्त 2014

चिंतन ....

स्‍त्री की भूमिका, उसका महत्‍व गौर करें,
सृजन की अधिकारिणी
बच्‍चे के मुख से नि:सृत पहला स्‍वर – माँ
किवदंतियाँ जो हमने ही गढ़ी - जब हम कहते हैं गोदी के बच्‍चे से कि
‘‘माँ का डाँटे’’  तो वह रोने सा मुँह बनाता है
‘‘पापा को डाँटे’’ तो वह हँसता है ... 
इस हास्‍य को बनाने के पीछे कोई तो सोच होगी
विद्या रूप
लक्ष्‍मी रूप
शक्ति रूप
सहनशीलता की अद्भुत मिसाल – 
सीता ने लव-कुश को वन में राजकुल योग्‍य बनाया !
पत्‍थर बनी अहिल्‍या ने राम का इन्‍तज़ार किया
यशोधरा ने राहुल को तैयार किया
राधा ने नाम स्‍वीकार किया
.............................. एक गहन अस्तित्‍व


-                  - रश्मि प्रभा 


सोमवार, 30 जून 2014

चिंतन

तूफ़ान की तरह उठापटक करते आते हैं विचार,
मन के दरवाज़े को पीटते हैं 
मस्तिष्‍क के कोनों से कई ख्‍याल उड़ा ले जाते हैं
जब तक वेग रूकता है
............. एक सन्‍नाटा होता है
और उस सन्‍नाटे की सोच अलग होती है उस तूफ़ान से 

- रश्मि प्रभा