रोने का दिल करे तो रोवो
जिस तरह खुलकर हँसते हो न
उसी तरह खुलकर रोवो
हाँ साथ ही अपने आंसू पोछना भी सीखो
क्योंकि आंसू पोछने कोई नहीं आता
पर जब खुद पर भरोसा करने लगोगे
तो ईश्वर उन आंसुओं को मोती बना देगा
अपनी हथेली में भरकर ....!!- रश्मि प्रभा
आत्मविश्वास ही अमूल्य मोती है।
जवाब देंहटाएं____________________________________
सुज्ञ: जीवन का लक्ष्य
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perfect...mausi...
जवाब देंहटाएंTrue... Sahi.. Satya....:) Ilu..!
जवाब देंहटाएंजो समझ गया खुद के
जवाब देंहटाएंआंसुओ का स्वाद
वो जीत गया ये जहान
हँसी में नहीं ...
आंसुओ में छिपी है
खुद की कामयाबी ....((अंजु.....अनु..))
सही बात है दीदी, दुःख को मन से निकाल देना ही अच्छा है वरना वो नफरत का रूप ले लेता है और ज्यादा नुकसान करता है ...
जवाब देंहटाएंवाह ...आंसुओं को पोंछने की कला हो तो आंसू भी मोती बन जाते हैं ...
जवाब देंहटाएंक्या अजीब शर्त लगायी है दीदी आपने
जवाब देंहटाएं"जिस तरह खुल कर हँसते हो "
कितने लोग मिलेंगे आपको खुल कर हंसने वाले..
आपको पता है... साफ साफ आपको पता है कि खुलकर वही रो सकता है जो खुल कर हंस लेता हो ..
ये आंसुओं के मोती बनने का राज है दी मूलमंत्र !!
खुद पर और उस ईश्वर पर विश्वास ही आंसुओं को मोती बना देता है ...बिलकुल सच !
जवाब देंहटाएंआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (5-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
गहन ...बहुत सुंदर विचार ...
जवाब देंहटाएंआभार -इसे बाटने के लिए ...!!
क्योंकि आंसू पोछने कोई नहीं आता
जवाब देंहटाएंपर जब खुद पर भरोसा करने लगोगे
तो ईश्वर उन आंसुओं को मोती बना देगा
अपनी हथेली में भरकर ....!!
..बिलकुल सच ...
bikharate bavon ko sanjone ka prayas achha hai,
जवाब देंहटाएंहाँ साथ ही अपने आंसू पोछना भी सीखो
क्योंकि आंसू पोछने कोई नहीं आता
bahut khb ,sunder srijan.abhar
satya vachan!!
जवाब देंहटाएंbahut sunder auro ko bhi ek seekh deti post.
जवाब देंहटाएंसुंदर ...प्रभावी पंक्तियाँ.....
जवाब देंहटाएंthank you so much for such great thoughts... ll apply it for sure...
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