शनिवार, 25 अगस्त 2012

चिंतन ...

जब सोच की आंखे बरसने लगती हैं, सिसकियों से शब्‍द निकलते हैं तो लोग उसे कविता कहते हैं .. कभी प्‍यार आंखों को बोझिल कर देता है और होठों पर बेवक्‍़त की मुस्‍कान पन्‍नों पर शक्‍ल लेती है तो लोग उसे कविता कहते हैं ...  जो भी कहो दिल को छू जाए और लोरी बन जाए, कुछ पल का सुकून बन जाए - उन शब्‍दों को खुदा कहते हैं .

-रश्मि प्रभा

1 टिप्पणी:

यह प्रेरक विचार आपके प्रोत्‍साहन से एक नये विचार को जन्‍म देगा ..
आपके आगमन का आभार ...सदा द्वारा ...