होंठों पर सच यूँ जमा, ज्यों शिखरों पर बर्फ ।पपड़ी परतों में जमीं, जमें सत्य के हर्फ़ ।जमें सत्य के हर्फ़, दर्प की जली मशालें ।रहा जलाता मर्म, फफोले जलते छाले ।रविकर अब निश्तेज, भेज कोई रखवाला ।कैद करे ये झूठ, लगाए मरहम आला ।
सच के फ़फोले समय के मलहम से ठीक हो कुंदन बन निखर जायेंगें !
सत्य के प्रति आस्था फफोलों का मरहम है।
यह प्रेरक विचार आपके प्रोत्साहन से एक नये विचार को जन्म देगा ..आपके आगमन का आभार ...सदा द्वारा ...
होंठों पर सच यूँ जमा, ज्यों शिखरों पर बर्फ ।
जवाब देंहटाएंपपड़ी परतों में जमीं, जमें सत्य के हर्फ़ ।
जमें सत्य के हर्फ़, दर्प की जली मशालें ।
रहा जलाता मर्म, फफोले जलते छाले ।
रविकर अब निश्तेज, भेज कोई रखवाला ।
कैद करे ये झूठ, लगाए मरहम आला ।
सच के फ़फोले समय के मलहम से ठीक हो कुंदन बन निखर जायेंगें !
जवाब देंहटाएंसत्य के प्रति आस्था फफोलों का मरहम है।
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