बुधवार, 23 मार्च 2011

अपना आक्रोश ....

चीजें फ़ेंककर अपना आक्रोश वे दिखाते हैं
जो सच को सुनना ही नहीं चाहते ........!!


रश्मि प्रभा

8 टिप्‍पणियां:

  1. क्या सचमुच ?
    मैं भी कर देती हूँ ऐसा कभी -कभी !

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  2. आजकल की दुनिया में दीदी, सच को झुठला देना बहुत आसान हो गया है ! सच एक लाचार बलि के बकरे से ज्यादा कुछ नहीं है !

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  3. यह आत्म चिंतन पाठक को भी आत्म चिंतन के लिए बाध्य करता है।
    बहुत सुंदर विचार।

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यह प्रेरक विचार आपके प्रोत्‍साहन से एक नये विचार को जन्‍म देगा ..
आपके आगमन का आभार ...सदा द्वारा ...