गुरुवार, 6 सितंबर 2012

चिंतन ...

कितना भी लिखो, कहो, दुहराओ... 
अनकही ही रह जाती है ज़िन्दगी !!!

- रश्मि प्रभा 

2 टिप्‍पणियां:

  1. ज़िन्दगी
    भावनाओं का समुद्र है,
    मृत्यु तक भावनाओं की
    एक एक बूँद गिराते रहो
    कभी भरता ही नहीं,
    अधूरा नज़र आता है

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  2. उस अनकहे को कहने सुनने की सामर्थ्य हमको माँ शारदा ने दी है ...शब्दों में उतार सकते है हम :-) मां के प्यारे बच्चे

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यह प्रेरक विचार आपके प्रोत्‍साहन से एक नये विचार को जन्‍म देगा ..
आपके आगमन का आभार ...सदा द्वारा ...