सटीक ..और यह बोझ ज्यादा दिन नहीं उठाया जा सकता
आपके ही सौजन्य से --इक पहाड़ सा लगने लगता उन रिश्तों का बोझ |धीर-धीरे रहे बिगड़ते, रहे नहीं जब *सोझ || *सरल जिसकी बुद्धि जितनी पैनी, उस पर ही यह भार |करे जरुरी चिंतन दिल से, सारे बोझ उतार || असहज भावों पर रविकर, वो करें नियंत्रण जमके | फिर से रिश्ते सहज बनेंगे, लगा लेप मरहम के || रिश्तों की पूंजी बड़ी , हर-पल संयम *वर्त | *व्यवहार कर पूर्ण-वृत्त पेटक रहे , असली सुख *संवर्त || *इकठ्ठा
एक दम सही, ऐसे कर्तव्य निष्फल श्रम ही सिद्ध होते है।
यह प्रेरक विचार आपके प्रोत्साहन से एक नये विचार को जन्म देगा ..आपके आगमन का आभार ...सदा द्वारा ...
सटीक ..और यह बोझ ज्यादा दिन नहीं उठाया जा सकता
जवाब देंहटाएंआपके ही सौजन्य से --
जवाब देंहटाएंइक पहाड़ सा लगने लगता उन रिश्तों का बोझ |
धीर-धीरे रहे बिगड़ते, रहे नहीं जब *सोझ || *सरल
जिसकी बुद्धि जितनी पैनी, उस पर ही यह भार |
करे जरुरी चिंतन दिल से, सारे बोझ उतार ||
असहज भावों पर रविकर, वो करें नियंत्रण जमके |
फिर से रिश्ते सहज बनेंगे, लगा लेप मरहम के ||
रिश्तों की पूंजी बड़ी , हर-पल संयम *वर्त | *व्यवहार कर
पूर्ण-वृत्त पेटक रहे , असली सुख *संवर्त || *इकठ्ठा
एक दम सही, ऐसे कर्तव्य निष्फल श्रम ही सिद्ध होते है।
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