रविवार, 1 जून 2014

चिंतन ...

किसी की प्रगति यदि हज़म हो जाए
फिर कॉम्पिटिशन ही नहीं रह जाए ।

- रश्मि प्रभा 

शनिवार, 24 मई 2014

चिंतन .....


मज़ाक करना आसान होता है,
मज़ाक सहना नामुमकिन !
-                                                                     रश्मि प्रभा  

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शनिवार, 2 नवंबर 2013

चिंतन ...

मैंने तो संस्कारों की सलाइयों पर प्रेम के फंदे डाले 
तुम्हारे सवालों के व्यर्थ घेरे में जवाब देते-ढूंढते 
मैंने जीवन को उधेड़ना बुनना सीख लिया 
अब प्रेम क्या 
भय कैसा 
बुने हुए अनुभवों का सुकून है 
जिसे ओढ़ कभी हो जाती हूँ खामोश 
कभी सिहरन को रोक लेती हूँ 
कभी सिरहाना बना गहरी नींद ले लेती हूँ सपनों की 
………………………… 
अनजाने तुमने मुझे कुशल बुनकर बनाया 
और मैं -------- जीने लगी 

- रश्मि प्रभा 

गुरुवार, 24 अक्टूबर 2013

चिंतन ...

सहनशील होना ज़रूरी है 
पर सहनशीलता इतनी भी अच्छी नहीं 
कि कोई आपके सर पर पूरा आकाश रख दे 
और आप उफ़ तक ना करें ....
अति सहनशीलता सामनेवाले को हिंसक बनाता है। 
- रश्मि प्रभा 

शुक्रवार, 11 अक्टूबर 2013

चिंतन ...

सच है,लक्ष्मी के संग रहकर न कोई धनवान होता है 
न विष्णु 
लक्ष्मी तो एक पैसे में भी होती है 
पर उसकी कीमत जान पाना आसान नहीं 
क्योंकि मन तो अति के मोह से भरा 
कड़वे बोल की अमीरी के नशे में धुत्त होता है !
- रश्मि प्रभा 

शनिवार, 28 सितंबर 2013

चिंतन ...

कई बार ईर्ष्या करनेवाला खुद भी अनजान होता है अपनी ईर्ष्या से 
आत्मप्रशस्ति की ऊँगली थामे 
वह सही राह से गुमराह हो जाता है 
स्नेहिल द्वार बंद कर अपनी उस किस्मत को रोता है 
जिसे ख़ुदा तराशकर भी हार जाता है 
 
- रश्मि प्रभा 



मंगलवार, 27 अगस्त 2013

चिंतन ...

सच है,लक्ष्मी के संग रहकर न कोई धनवान होता है 
न विष्णु 
लक्ष्मी तो एक पैसे में भी होती है 
पर उसकी कीमत जान पाना आसान नहीं 
क्योंकि मन तो अति के मोह से भरा 
कड़वे बोल की अमीरी के नशे में धुत्त होता है !
- रश्मि प्रभा