सच ....
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दादी बाबा बा गए, काका काकी भाय |बच्चे भी बाहर गए, भारी जगह बनाय |भारी जगह बनाय, कई खाली हैं कमरे |रविकर लेता एक, एक में पत्नी पसरे |पाए आज स्पेस, जगह की नहिं बर्बादी |इक इक कोना थाम, बैठ बन बाबा दादी ||
सही है स्पेस कुछ हद स् ज्यादा बढ गया ।
यह प्रेरक विचार आपके प्रोत्साहन से एक नये विचार को जन्म देगा ..आपके आगमन का आभार ...सदा द्वारा ...
सच ....
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जवाब देंहटाएंदादी बाबा बा गए, काका काकी भाय |
हटाएंबच्चे भी बाहर गए, भारी जगह बनाय |
भारी जगह बनाय, कई खाली हैं कमरे |
रविकर लेता एक, एक में पत्नी पसरे |
पाए आज स्पेस, जगह की नहिं बर्बादी |
इक इक कोना थाम, बैठ बन बाबा दादी ||
सही है स्पेस कुछ हद स् ज्यादा बढ गया ।
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