tag:blogger.com,1999:blog-8278540981144514398.post253064174534166292..comments2023-09-21T15:26:09.017+05:30Comments on आत्म-चिंतन: चिंतन .... सदाhttp://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-8278540981144514398.post-77380308318667297432013-01-02T11:55:13.198+05:302013-01-02T11:55:13.198+05:30तर्क बिना विषय का पूर्ण मंथन नहीं हो सकता ,पर तर्क...तर्क बिना विषय का पूर्ण मंथन नहीं हो सकता ,पर तर्क का सार्थक होना भी आवश्यक है,तर्क करने के लिए ,या अपनी बात को उचित सिद्ध करने के लिए किया तर्क नकारात्मक सोच कहलायेगा,और नकारात्माक्ता मनुष्य को उजाले से अँधेरे में ले जाता है.Nirantarhttps://www.blogger.com/profile/02201853226412496906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8278540981144514398.post-34450254341769776912013-01-02T11:41:52.883+05:302013-01-02T11:41:52.883+05:30जिज्ञासा ...करता हूँ ..अखबारों मे ,दूरदर्शन में हो...जिज्ञासा ...करता हूँ ..अखबारों मे ,दूरदर्शन में हो रहे बहसों को सुनता हूँ<br />तब प्रथम सारगर्भित अंश से बहुत दूर निकल आये है ऐसा लगता हैं<br />शब्द से बने सुविचार कुछ लोगो तक ही सिमित रह जाते है<br />जिनका जिज्ञासा से ,तर्कों से ,शब्दों से कोई सम्बन्ध नहीं है ..<br />उनकी संख्या ..ऐसे सिमित लोगों की तुलना मे ...ज्यादा हैं <br />आपने जो कहा हैं वह सही हैं / खोरेन्द्र https://www.blogger.com/profile/16964838805138081044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8278540981144514398.post-90085226623347955302013-01-02T11:39:36.724+05:302013-01-02T11:39:36.724+05:30Bahut sundarBahut sundarSarashttps://www.blogger.com/profile/04867240453217171166noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8278540981144514398.post-41242733482062624352013-01-02T11:22:42.750+05:302013-01-02T11:22:42.750+05:30truetrueनीलिमा शर्मा Neelima Sharma https://www.blogger.com/profile/15015116506093296186noreply@blogger.com